Rare
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चश्मेबद्दूर का ‘चमको सीक्वेंस’, वो मासूमियत भरा प्यार
कुल जमा ये अफ़साना है कि दीप्ति फ़ारूख़ के यहां चमको साबुन का “डेमंस्ट्रेशन” देने आई हैं. वे फ़ारूख़ को…
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मकबूल, ओमकारा, हैदर या निम्मी, डॉली, गजाला
सतह पर विशाल की शेक्सपीरियन त्रयी मकबूल, ओमकारा और हैदर की त्रासदियों का आख्यान लगती है, मानों अपने दौर के…
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हैदरः कश्मीर के नैरेटिव में कहां मौजूद है हैमलेट?
हैलो? हैलो? माइक टेस्टिंग 1,2,3… हैलो…? आवाज आ रही है आप लोग को? हेलो, हेलो, हेलो, हेलो, हेलो? यूएन…
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लोकतंत्र के विरोधाभास और विशाल भारद्वाज के शेक्सपीयर
लोकतंत्र की परिकल्पना त्रुटिहीन, निष्कलंक प्रणाली के रूप में कभी नहीं की गई। ये ऐसा ढांचा रहा है, जिसमें अधिकतम…
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गाड़ी बुला रही है, सीटी बजा रही है
पिछले दिनों लंबी रेल यात्राओं के दौरान बहुत सी फिल्मी छवियां मन में कौंध गईं। भारतीय फिल्मों का तो रेलगाड़ी…
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हमारा बॉलीवुड थर्ड जेंडर को कैसे देखता है?
शायद एक वक्त आएगा जब लोग आश्चर्य करेंगे कि किसी पुरुष के स्त्रियों जैसे व्यवहार को लंबे समय तक भारतीय…
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जब नायक से बड़ा बन जाता है किसी फिल्म का सपोर्टिंग एक्टर
जब आप ‘जय गंगाजल’ देखकर निकलते हैं तो देर तक आपके जेहन में डीसीपी बीएन सिंह घूमता रहेगा। इस किरदार…
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सोशल मीडिया पर ‘अनायकों’ की महागाथाएं
काफ्का की कहानी ‘मेटामार्फोसिस’ का बेहद मामूली जिंदगी जीने वाला नायक एक सुबह जागता है और खुद को तिलचट्टे में…
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पोलर एक्सप्रेसः भविष्य का सिनेमा
चार साल पहले क्रिसमस के मौके पर सारी दुनिया में रिलीज की गई दुनिया की पहली ‘आल डिजिटल कैप्चर फिल्म’…
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